गोस्वामी तुलसीदास युगदृष्टा एवं लोकनायक थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास थे। वे युगश्रृष्टा के साथ साथ युगदृष्टा भी थे। गोस्वामी तुलसीदास समन्वयकारी परंपरा के थे। तुलसीदास ने वह प्रगतिशीलता विद्यमान थी, जिससे वे परिस्थितियों के अनुकुल नवीन दृष्टिकोण अपनाकर प्राचीनता का समन्वय कर सके। गोस्वामी तुलसीदास युगदृष्टा एवं लोकनायक थे। गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में आदर्श परिवार, आदर्श समाज एवं आदर्श मानवीय मूल्यों का संकलन है। इमहाकवि तुलसीदास का आविर्भाव ऐसे काल में हुआ था, जब हिन्दू जाति यवन शासकों की अधीनता स्वीकार कर चुकी थी।



महाकवि तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस जैसे अद्वितीय ग्रंथ की रचना कर भारतीय जनता के हृदय में भक्ति का बीजारोपण करते हुए, उसे नाथ एवं सिद्ध पंथ की काव्यगत दुरूहता से बचाकर सांस्कृतिक चेतनारूपी अवलय प्रस्तुत किया। कविवर तुलसीदास की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने कहीं भी शिक्षा व संदेश के नाम पर उपदेश देने का प्रयत्न नहीं किया, वरन् अपने आराध्य देव श्रीराम के आदर्श चरित्र में ही कथा प्रसंगों के माध्यम से उन्होंने संसार के मन-मस्तिष्क में छाए अंधकार को समुल नष्ट कर देने की अद्भूत कला दिखाई। गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य परंपरा के गौरव हैं, उनके द्वारा रचित रामचरितमानस आज न केवल भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति पर आस्था रखने वाले लोगों के लिए अनुकरणीय एवं वंदननीय है।


तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे ,लोग तुलसी दास को वाल्मीकि का पुनर्जन्म मानते है। तुलसी दास जी अपने प्रसिद्ध कविताओं और दोहों के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरित मानस पूरे भारत में अत्यंत लोकप्रिय हैं। तुलसी दास जी ने अपना ज्यादातर समय वाराणसी में बिताया है। तुलसीदास जी जिस जगह गंगा नदी के किनारे रहते थे उसी जगह का नाम तुलसी घाट रखा गया और उन्होंने वहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर बनाया था लोगों का मानना है कि वास्तविक रूप से हनुमान जी से तुलसी दास जी वहीं पर मिले थे, और तुलसी दास जी ने रामलीला की शुरुआत की।