महाराणा प्रताप अदम्य साहस, शौर्य, पराक्रम, स्वदेश प्रेम एवं मातृभूमि के उपासक थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

मेवाड़ के महान वीर नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। भारत का एक ऐसा सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया, लेकिन कभी विदेशी मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित। विशाल मुगल सेनाओं को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था। महाराणा प्रताप अदम्य साहस, शौर्य, पराक्रम, स्वदेश प्रेम एवं मातृभूमि के उपासक थे। मुगल सम्राट अकबर उनके राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे, किन्तु राणा प्रताप ने ऐसा नहीं होने दिया और आजीवन संघर्ष किया। महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में से महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे। महाराणा प्रताप ने वीरता का जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह अद्वितीय है। उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया, वे वास्तव में जटिल थी, पर उन्होंने हार नहीं मानी।



महाराणा प्रताप की वीरता के साथ साथ उनके घोड़े चेतक की वीरता भी विश्व विख्यात है। चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था जिसने अपनी जान दांव पर लगाकर गहरे दरिया से कूदकर महाराणा प्रताप की रक्षा की थी। हल्दीघाटी में आज भी चेतक का मंदिर बना हुआ है। महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी के युद्ध के बाद का समय पहाडों और जंगलों में व्यतीत हुआ। अपनी पर्वतीय युद्ध नीति के द्वारा उन्होंने अकबर को कई बार मात दी। यद्यपि जंगलो और पहाडों में रहते हुए महाराणा प्रताप को अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पडा, किन्तु उन्होने अपने आदर्शों को नही छोडा। महाराणा प्रताप के मजबूत इरादो ने अकबर के सेनानायकों के सभी प्रयासों को नाकाम बना दिया। उनके धैर्य और साहस का ही असर था कि तीस वर्ष के लगातार प्रयास के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बन्दी न बना सका। भारत के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में कभी संकोच नहीं किया। उनके इस त्याग पर संपूर्ण भारत को गर्व रहा है। वीरों की इस भूमि में छोटे-बड़े अनेक राज्य रहे, जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया।