किसी भी देश एवं समाज के लिए लैंगिक असमानता श्राप है-डॉ० श्रीप्रकाश मिश्र

आज बालिका हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, लेकिन आज भी वह अनेक कुरीतियों का शिकार है। ये कुरीतियां उसके आगे बढऩे में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। पढ़े लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। आज हजारों लड़कियां लड़कियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहां बेटियों को बेटों की तरह अच्छा खाना और अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। स्वामी विवेकानंद की योजना थी कि जगह-जगह कन्या गुरुकुल खोले जाएं जहां लड़कियों की शिक्षा स्वास्थ्य और जीवनमूल्य के हेतु समुचित विकास का प्रबंध हो। स्वामी जी का विचार था कि लड़कियां समाज की आधारभूत संरचना की महत्वपूर्ण कड़ी है।



स्वामी विवेकानंद ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। उन्होंने महिलाओं के संदर्भ में उस समय व्याप्त अनेक कुरीतियों का विरोध किया। स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने भी स्वामी जी से प्रेरणा प्राप्त कर बालिका शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कार्य किया। स्वामी विवेकानंद का मत था कि जब तक लड़कियां शिक्षित नहीं होगी तब तक उन्हें सामाजिक न्याय नहीं प्राप्त हो पाएगा। आज देश में लड़कियों को लेकर एक बहुत असुरक्षा का माहौल है। किसी भी देश एवं समाज के लिए लैंगिक असमानता श्राप है। भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5' औरतें ऐसी है जिनकी शादियां 18 साल के पहले हुई है। कन्या भ्रुण हत्या से लड़कियों के अनुपात में काफी कमी आई है। एशिया महाद्वीप में भारत की महिला साक्षरता दर सबसे कम है। श्रीमती इंदिरा गांधी के भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनने की स्मृति में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। आज भारत के अनेक शिक्षा, चिक्तिसा, समाज सेवा एवं उद्योग के क्षेत्र में लड़कियों द्वारा व्यापक कार्य किया जा रहा है। आज आवश्यकता है देश के लोगों के बीच लिंग समानता को प्रचारित किया जाए। लड़कियों के लिए बहुत जरूरी है कि वह सशक्त, सुरक्षित और बेहतर माहौल उन्हें दिया जाए। उन्हें जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से भी अवगत होना चाहिए।