पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी मानवतावादी विचारक-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी भारत की एक ऐसी हस्ती थी, जिन्होंने अपने कार्यों एवं विचारों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. ये पेशे से एक महान राजनेता थे, जोकि  भारतीय जन संघ  नामक बड़ी पार्टी के अध्यक्ष थे. इसे वर्तमान में  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नाम से जाना जाता है. उन्होंने भारत की आजादी के ब…
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गोस्वामी तुलसीदास युगदृष्टा एवं लोकनायक थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
महात्मा बुद्ध के बाद भारत के सबसे बड़े लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास थे। वे युगश्रृष्टा के साथ साथ युगदृष्टा भी थे। गोस्वामी तुलसीदास समन्वयकारी परंपरा के थे। तुलसीदास ने वह प्रगतिशीलता विद्यमान थी, जिससे वे परिस्थितियों के अनुकुल नवीन दृष्टिकोण अपनाकर प्राचीनता का समन्वय कर सके। गोस्वामी तुलसीदास युगद…
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किसी भी देश एवं समाज के लिए लैंगिक असमानता श्राप है-डॉ० श्रीप्रकाश मिश्र
आज बालिका हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, लेकिन आज भी वह अनेक कुरीतियों का शिकार है। ये कुरीतियां उसके आगे बढऩे में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। पढ़े लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। आज हजारों लड़कियां लड़कियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया ज…
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युवा पीढ़ी को अपने देश के महापुरुषों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
युवा वर्ग देश का भविष्य होने के साथ-साथ हमारे देश के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में युवाओं की संख्या अन्य देशों से अधिक है। भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। अब भारत बदल रहा है, इस बदलाव में मुख्य भूमिका युवा पीढ़ी की हैं। आने वाली 21वीं सदी भारत की हो, इस पर युव…
महाराणा प्रताप अदम्य साहस, शौर्य, पराक्रम, स्वदेश प्रेम एवं मातृभूमि के उपासक थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र
मेवाड़ के महान वीर नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। भारत का एक ऐसा सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया, लेकिन कभी विदेशी मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। महाराणा प्रताप …
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विश्व वंदनीय गुरु गोविंद सिंह शौर्य एवं साहस के सुदृढ़ स्तम्भ थे-डॉ. श्रीप्रकाश
गुरु गोविंद सिंह जी एक महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस के कवि के साथ ही संघर्षशील वीर योद्धा भी थे। उनमें भक्ति और शक्ति, ज्ञान और वैराग्य, मानव समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता कुट-कुट कर भरी थी। विश्व वंदनीय गुरु गोव…
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